आखिर ऐसा क्या हुआ था उस रात, जो मर गया पूरा गांव… इंसान तो दूर मक्खियां तक नहीं बची थीं जिंदा!
Nyos Lake disaster: ‘कार्बन डाइऑक्साइड’ गैस कितनी खतरनाक हो सकती है. इसे एक अफ्रीकी गांव में घटित हुई घटना से समझा जा सकता है. ‘कार्बन डाइऑक्साइड’ गैस ने एक ‘साइलेंट किलर’ की तरह काम किया और पूरे गांव को मार गिराया. इंसानों, जानवरों और यहां तक की मक्खियों का भी दम घुट गया. इस घटना को ‘न्योस डिजास्टर लेक’ के नाम से जाना जाता है. जिसमें कुल मिलाकर 1746 लोगों और लगभग 3,500 जानवरों की मृत्यु हो गई थी.
डेलीस्टार की एक रिपोर्ट के अनुसार, 21 अगस्त 1986 की रात लगभग 9 बजे एक पश्चिमी अफ्रीकी गांव न्योस [Nyos] में लोगों ने जोर से गड़गड़ाहट की आवाज सुनी. अगली सुबह ग्रामीणों में से एक एफ़्रैम चे [Ephraim Che] उठा तो पाया कि लगभग सभी लोग जिन्हें वह जानता था वह मर चुके थे. पूरे गांव में भयानक सन्नाटा पसरा हुआ था. यह सब देखकर एफ़्रैम के होश उड़ गए. तभी उसे एक महिला के रोने की आवाज सुनाई दी. जिसके बाद वह महिला की ओर चला गया. वहां पहुंच कर उसे पता चला कि वह महिला हलीमा थी, जिसे वह जानता था.
एफ़्रैम ने बताया कि हलीमा ने दुःख के मारे अपने कपड़े फाड़ दिए थे. वे फटे हुए कपड़े उसके बच्चों के शरीर थे, जो जीवित नहीं थे. अपने बच्चों की मौत पर हलीमा बुरी तरह से चित्कार कर रही थी. इसके बाद, एफ़्रैम ने अपने परिवार के 30 से अधिक अन्य सदस्यों और उनके 400 जानवरों को देखा. एफ़्रैम ने याद करते हुए कहा, ‘उस दिन मृतकों पर कोई मक्खियां नहीं थीं. यहां तक कि कीड़े भी अदृश्य हत्यारे द्वारा मारे गए थे.’ ‘न्योस लेक डिजास्टर’ के सर्वाइवर्स एफ़्रैम और हलीमा की बातें रूह को कंपा देने वाली हैं.
न्योस लेक डिजास्टर के कारण
न्योस झील की आपदा का मुख्य कारण झील की गहरी परतों में घुली हुई कार्बन डाइऑक्साइड गैस का जमा होना था. विस्फोट के साथ न्योस झील की गहराई में से भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकली, जिससे न्योस गांव में लगभग हर जीवित चीज का दम घुट गया था और फिर हजारों लोगों और जानवरों की मौत हो गई थी. कुछ जीवित बचे लोगों ने झील से आने वाली बारूद या सड़े अंडे जैसी दुर्गंध की सूचना दी, जिससे पता चलता है कि झील से गैस का रिसाव हुआ था.
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FIRST PUBLISHED : August 22, 2023, 19:13 IST
Source – News18