क्या आप जानते हैं, संविधान सभा के सदस्य को कितनी मिलती थी सैलरी

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Agency:News18 Jharkhand

Last Updated:January 25, 2025, 11:03 IST

Republic Day 2025: गणतंत्र दिवस पर हम 76वें साल में भारतीय संविधान के महत्व को याद करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं, संविधान सभा के सदस्य हर बैठक के लिए कितने रुपए की सैलरी दी जाती थी.

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यदुवंश

यदुवंश सहाय की तस्वीर

हाइलाइट्स

  • संविधान सभा के सदस्य को एक बैठक के मिलते थे 90 रुपए।
  • संविधान को लिखने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे।
  • यदुवंश सहाय ने आदिवासियों के हक के लिए अनुच्छेद 264क में योगदान दिया।

पलामू. 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस का अवसर हम बड़े धूमधाम से मनाते हैं. इस बार 76वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है. पूरा देश एकजुट होकर इस त्योहार को मनाता है. बता दें कि 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ था. तब से हम इस दिन को बड़े उत्साह से मनाते आ रहे हैं. आज हम आपको संविधान से जुड़ी कुछ नई बातें बताने जा रहे हैं. संविधान को लिखने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे। इसमें 284 सदस्यों ने मिलकर योगदान दिया था, जिसमें पलामू के लाल भी शामिल थे. जी हां, पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर स्थित स्वर्गीय यदुवंश सहाय (जनरल, बिहार) इस सभा के सदस्य चुने गए थे. उन्हें सेंट्रल कमिटी ने चुना था और उनका संविधान में बहुमूल्य योगदान था.

बिहार में राज खरसांवा को मिलाने का योगदान
उनके पुत्र बृजनंदन सहाय ने लोकल18 को बताया कि उनके पिता एक किसान नेता थे. वे संविधान सभा में ज्यादातर किसानों और उनके हितों की बात उठाते थे, क्योंकि उस समय किसानों की हालत बहुत खराब थी. किसान एक समय का खाना खाते थे और दूसरे समय के लिए उनके पास कुछ नहीं होता था. इसलिए वे किसानों के मुद्दों को जोर-शोर से उठाते थे, जिसे सरदार वल्लभ भाई पटेल बड़े ध्यान से सुनते थे. इसके अलावा, राज खरसांवा को बिहार में मिलाने में भी उनके पिता का योगदान था. इसके लिए बहुत बहस चली कि राज खरसांवा को उड़ीसा में रखा जाएगा, लेकिन अंततः राज खरसांवा को बिहार में मिलाया गया.

आदिवासियों के हक की बात उठाते थे
उन्होंने कहा कि उनके पिता संविधान निर्माण में बहुमूल्य योगदान दिए. वे आदिवासियों के हक और अधिकार के लिए अनुच्छेद 264क के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए. इसके अलावा और भी कई आर्टिकल में उन्होंने अपना योगदान दिया. उन्होंने बताया कि घर में आकर वे चर्चा करते थे कि यह संविधान तुमलोग और भारत के भाग्य का निर्माण कर रहा है. इसी पर पूरा भारत चलेगा और तुमलोग को भी इसी पर चलना होगा। यह कोई सामान्य किताब नहीं, बल्कि एक धर्म ग्रंथ है.

एक बैठक के मिलते थे 90 रुपए
उन्होंने बताया कि संविधान सभा में एक बैठक के 90 रुपए मिलते थे, जिससे रहना-खाना सभी तरह का खर्च होता था. जबकि बिहार स्टेट से 10 रुपए मिलते थे, जिससे वे महीना चलाते थे. कभी-कभी वे दिल्ली से आम, संतरा, ड्राई फ्रूट्स और कई तरह के सामान लेकर आते थे, जिसका हमें इंतजार रहता था.

सड़क दुर्घटना में गवाई जान
आगे उन्होंने बताया कि जब संविधान लागू हो गया, तब 26 फरवरी 1950 की बात है. यदु बाबू महज 50 वर्ष के थे और अपने साथी कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष गौरीशंकर ओझा के साथ किसान सभा में भाग लेने जा रहे थे. तभी सतबरवा में हुई सड़क दुर्घटना में दोनों घायल हो गए. इलाज के लिए बड़े-बड़े डॉक्टर नवाब, डॉ. विजय आए, लेकिन सिर में गहरी चोट थी, जिससे ब्लड क्लॉट हो गया और उनका असामयिक निधन हो गया.

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Source – News18