चमत्कार..MP में पहुंचीं गंगा! इस कुंड का जल देख वैज्ञानिक भी हैरान

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Last Updated:March 31, 2025, 16:53 IST

Ajab-Gajab: मध्य प्रदेश के मंडलेश्वर में स्थित गंगाझीरा कुंड को गंगा के समान पवित्र माना जाता है. यह कुंड त्रेतायुग में भगवान परशुराम द्वारा तपस्या करने और गंगा जी को आव्हान करने से जुड़ा हुआ है.

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कुंड

कुंड में गंगा जैसा पवित्र जल. गंगाझीरा मंडलेश्वर.

हाइलाइट्स

  • मंडलेश्वर का गंगाझीरा कुंड गंगा के समान पवित्र माना जाता है.
  • भगवान परशुराम ने त्रेतायुग में यहां तपस्या की थी.
  • परशुराम जयंती पर यहां अनुष्ठान और भव्य श्रृंगार होता है.

अजब-गजब. मां गंगा को देश की सबसे पवित्र और पाप क्षीण नदी माना जाता है. मध्य प्रदेश में मां नर्मदा नदी के तट पर एक ऐसा दुर्लभ कुंड है, जिसका पानी गंगा के समान है. यह बात हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि यहां के लोगों ने जब इस पानी का परीक्षण कराया, तो उनके मुताबिक एक्सपर्ट ने भी इसकी पुष्टि की और कहा की यह पानी गंगा के समान निर्मल और पावन है. हैरानी की बात, तो यह है कि यह कुंड कोई 100-200 साल पुराना नहीं, बल्कि त्रेतायुग का बताया जाता है और आज भी कुंड लबालब भर रहता है. माना जाता है कि इसी जगह पर भगवान परशुराम जी ने तपस्या करके गंगा जी को यहां प्रकट किया था.

दरअसल, यह कुंड खरगोन जिला मुख्यालय से 50 km दूर धार्मिक एवं पवित्र नगरी मंडलेश्वर में मौजूद है. वर्तमान में यह क्षेत्र गंगाझीरा के नाम से प्रसिद्ध है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेतायुग में भगवान परशुराम ने इसी जगह क्षत्रिय वध के पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या की थी. अपने शस्त्र (खड़ाऊ) को धोने के लिए इस कुंड में गंगा जी का आव्हान किया था. लोगों का मानना है कि आज कुंड का पानी गंगा जी के समान  पवित्र और निर्मल है. इतना ही नहीं यह पानी पूरी तरह आचमन करने योग्य है.

परशुराम जन्मोत्सव पर होता है अनुष्ठान
यहां परशुराम द्वारा स्थापित शिवलिंग मल्शमनेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है. उक्त स्थान के दर्शन के लिए कई राज्यों के श्रद्धालु वर्षभर आते है. हर साल यहां परशुराम जयंती पर अनुष्ठान भी होते है. इस साल परशुराम जी का जन्मोत्सव अध्यक्ष तृतीया को मनाया जाता है. इस साल अक्षय तृतीया 1 अप्रैल 2025 मंगलवार को आ रही है. शिवलिंग का अभिषेक और फिर भव्य श्रृंगार होगा. वर्तमान में local18 की खबर के बाद यहां भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है.

गंगाझीरा परशुराम की तपोस्थली
मंदिर संचालन समिति श्री ओंकार सेवा मिशन ट्रस के परमानंद केवट बताते है कि, शास्त्रों में वर्णन है कि, भगवान परशुराम ने एक युद्ध में माहिष्मति (वर्तमान महेश्वर) के सबसे प्रतापी राजा भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र के अवतार भगवान कार्यवीर्य सहस्त्रार्जुन (सहस्त्रबाहु) की भुजाएं काट दी थी. यहीं नहीं उन्होंने पूरे क्षेत्रीय वंश का विनाश कर दिया था. क्षत्रियों के खून से सने अपने शस्त्र को धोना था, लेकिन नर्मदा में नहीं धो सकते थे, इसलिए उन्होंने यहां गंगाजी को प्रकट किया. यह क्षेत्र उनकी तपोभूमि मानी जाती है.

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Source – News18