टॉयलेट में घंटों बंद रहती थीं लड़कियां, जब सच सामने आया तो हैरान रह गए टीचर्स!
Last Updated:March 25, 2025, 17:18 IST
इंग्लैंड के लिंकनशायर के एक स्कूल में छात्राएं टॉयलेट में घंटों रुकती थीं, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही थी. स्कूल ने शीशे हटाने का फैसला लिया, जिससे विवाद हुआ.

UK में घंटों तक बाथरूम में घुसकर मिरर देखती रहती थीं छात्राएं. (Picture credit- canva)
स्कूल में टॉयलेट का इस्तेमाल एक आम बात है, लेकिन अगर छात्राएं वहां घंटों रुकने लगें तो यह चिंता का विषय बन जाता है. इंग्लैंड के लिंकनशायर के एक स्कूल में ऐसा ही हो रहा था. छात्राएं क्लास छोड़कर टॉयलेट में घंटो घुसी रहती थीं. लेकिन जब स्कूल प्रशासन ने इसकी वजह जानने की कोशिश की, तो चौंकाने वाला सच सामने आया. पता चला कि कई छात्राएं टॉयलेट में सिर्फ खुद को आईने में देखने, मेकअप ठीक करने और दोस्तों के साथ गपशप करने में समय बिता रही थीं, जिसके चलते न सिर्फ उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही थी, बल्कि कई अन्य छात्र-छात्राओं को दिक्कतें भी हो रही थी. जब यह मामला टीचर्स के सामने आया, तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए टॉयलेट से सारे शीशे हटा दिए. जिसके बाद से यह फैसला चर्चा का विषय बन गया है.
स्कूल के प्रिंसिपल, ग्रांट एडगर का कहना है कि यह फैसला छात्रों को समय पर क्लास में पहुंचाने के लिए लिया गया है. साथ ही, इससे उन बच्चों को भी राहत मिलेगी जो टॉयलेट में भीड़ की वजह से दिक्कतों का सामना करते थे. हालांकि, जिन छात्र-छात्रओं को मेडिकल जरूरतों के लिए शीशे की आवश्यकता होती है, वे रिसेप्शन पर जाकर शीशे देख सकते हैं.
बाथरूम से मिरर हटाने के चलते छात्राओं के माता-पिता ने आपत्ति जताई, उनका कहना है कि, उनके बच्चे कांटेक्ट लेंस और ब्रेसेस पहनते हैं, जिसके लिए उसे शीशे की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि बिना शीशे के यह काफी मुश्किल हो सकता है. साथ ही, उन्होंने इस फैसले पर सवाल उठाया कि क्या सच में इससे छात्रों को टॉयलेट में इकट्ठा होने से रोका जा सकेगा? वहीं, कैरेन, जिनकी बेटी उसी स्कूल में पढ़ती है, ने कहा कि शुरू में उनकी बेटी को यह बदलाव पसंद नहीं आया, लेकिन इससे समय की बर्बादी कम हो सकती है. उनके मुताबिक, जब छात्रों का ध्यान बार-बार अपने लुक पर नहीं जाएगा, तो वे समय पर क्लास में पहुंचेंगे.
साइकेट्रिस्ट एम्मा केनी का मानना है कि असली दिक्कत शीशे नहीं, बल्कि यह है कि छात्र-छात्राएं टॉयलेट में इतना समय बिता ही क्यों रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई छात्रों के लिए टॉयलेट वह जगह होती है, जहां वे अपना कॉन्फिडेन्ट बढ़ाते हैं और खुद को बेहतर महसूस कराते हैं. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि स्कूल को यह समझने की जरूरत है कि आखिर बच्चे टॉयलेट में इतना समय क्यों बिता रहे हैं, बजाय इसके कि शीशे हटा दिए जाएं.
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Source – News18