मादा को रिझाने के लिए रंग बदलता है ये मेंढक, निकालता है खास आवाज

Last Updated:June 18, 2025, 23:41 IST
Indian Bull Frog: खरगोन के भीकनगांव में तालाब के किनारे जब पीले रंग की चमक और बड़ी कद-काठी वाले इस दुर्लभ मेंढक को देखा गया, तो लोगों की भीड़ जुट गई. वे इसकी फोटो लेने लगे और वीडियो बनाने लगे.
खरगोन. मध्य प्रदेश में मानसून की दस्तक के साथ ही प्रकृति ने भी अपना करिश्मा दिखाना शुरू कर दिया है. खरगोन जिले में पहली बारिश के बाद कुछ इलाकों में लोगों को चटकदार पीले रंग का मेंढक नजर आया है. देखने में यह मेंढक किसी खिलौने जैसा लगा लेकिन असल में यह एक खास प्रजाति का जीव है. इसका नाम इंडियन बुल फ्रॉग है, जो साल में सिर्फ एक बार इस रूप में दिखाई देता है. जानकारी के मुताबिक, ये मेंढक तालाब, नदी, झील या झरनों के पास पाए जाते हैं. पहली बारिश के बाद इन जगहों पर कुछ दिनों के लिए यह दुर्लभ दृश्य दिखाई देता है. चूंकि ये मेंढक बारिश के मौसम में अपने प्रजनन काल में होते हैं, ऐसे में नर मेंढक मादा को आकर्षित करने के लिए अपना रंग बदल लेते हैं. आम दिनों में इनका रंग भूरा या मेहरून जैसा होता है लेकिन जैसे ही मानसून शुरू होता है, ये सूरजमुखी के फूल जैसे पीले हो जाते हैं. इसके साथ ही ये टर्र-टर्र की तेज आवाजें भी निकालते हैं.
जीव विज्ञान की प्रोफेसर डॉ शैल जोशी लोकल 18 को बताती हैं कि नर मेंढक ही इस तरह रंग बदलने की क्षमता रखते हैं. यह कोई बीमारी नहीं होती बल्कि एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो जेनेटिक स्तर पर होती है. मादा को आकर्षित करने के लिए ही नर मेंढक रंग बदलने के साथ खास आवाजें भी निकालते हैं.
वोकल कोर्ड से आती है आवाज
नर मेंढक के गले में एक खास तरह की थैली होती है, जिसे वोकल सैक या वोकल कोर्ड कहते हैं. इसी के जरिए ये टर्र-टर्र की आवाजें निकालते हैं, जो दूर से सुनाई देती है और मादा मेंढकों को बुलाने में मदद करती है. इंडियन बुल फ्रॉग का आकार भी आम मेंढकों से बड़ा होता है. इसकी लंबाई करीब 17 इंच तक हो सकती है. जब यह पीले रंग में नजर आता है, तो इसकी पीठ पर हरी धारियां बनी रहती हैं.
देश में 400 से ज्यादा प्रजातियां
बता दें कि भारत में मेंढक की 400 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. वहीं दुनियाभर में इनकी संख्या 5000 से भी ज्यादा है. इंडियन बुल फ्रॉग को वैज्ञानिक भाषा में Hoplobatrachus tigerinus या राना टिग्रिना नाम से भी जाना जाता है. यह भारत सहित पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों में पाया जाता है.
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Source – News18