वो इकलौती मछली, जो 400 मीटर तक भरती है उड़ान, फिर ऐसे देती है मौत को चकमा!

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Last Updated:August 06, 2025, 05:40 IST

आपने मछलियों को पानी में तैरते हुए देखा होगा. लेकिन क्या आप किसी ऐसी मछली के बारे में जानते हैं, जो 400 मीटर तक की उड़ान भर सकती है? अगर नहीं जानते तो बता दें कि एक्सोकोएटिडे (Exocoetidae) परिवार की मछलियों की …और पढ़ें

वो इकलौती मछली, जो 400 मीटर तक भरती है उड़ान, फिर ऐसे देती है मौत को चकमा!

दुनियाभर में कई ऐसी प्राकृतिक अजूबे हैं, जिनके बारे में जानकर हैरानी होती है. अगर ये हमारी आंखों के सामने आ जाएं, तो उनपर भरोसा करना मुश्किल होता है. ऐसी ही एक अजूबा हैं उड़ने वाली मछली. जी हां, आपने सही सुना. हम बात कर रहे हैं एक ऐसी मछली की, जो सिर्फ पानी में नहीं रहती, बल्कि हवा में भी ग्लाइड करके लंबी दूरी तय कर सकती है. इसे देखकर ऐसा लगता है कि मानो कोई चिड़िया आसमान में उड़ रही हो. आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन बता दें कि ये अनोखा जीव हमें दिखलाती है कि अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कैसे जीवन अविश्वसनीय तरीकों से खुद को ढाल लेता है. यह सिर्फ एक मछली नहीं है, बल्कि एक जीवित चमत्कार है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये मछली है कौन सी, जो पानी में रहने के साथ-साथ हवा में भी उड़ान भरने में माहिर है. ऐसे में बता दें कि ये मछलियां एक्सोकोएटिडे (Exocoetidae) परिवार से जुड़ी होती हैं, जिन्हें आमतौर पर उड़ने वाली मछली (Flying Fish) कहा जाता है. इन्हें यह नाम बिल्कुल सही मिला है, क्योंकि ये पानी से बाहर निकलकर अपने फैले हुए पेक्टोरल पंखों (pectoral fins) की मदद से लंबी दूरी तक हवा में ग्लाइड करने की क्षमता रखती हैं.

इन मछलियों का सुव्यवस्थित टॉरपीडो जैसा आकार इन्हें पानी के अंदर इतनी स्पीड देता है कि ये सतह से बाहर निकलकर हवा में आ जाती हैं और इनके बड़े पंखों जैसे फिन इन्हें हवा में उठा लेते हैं. एक बार हवा में आने के बाद ये मछलियां काफी दूरी तक ग्लाइड कर सकती हैं. इनकी उड़ानें आमतौर पर लगभग 50 मीटर की होती हैं, लेकिन कुछ मछलियों को 200 मीटर या उससे भी अधिक दूरी तक उड़ते हुए रिकॉर्ड किया गया है. कुछ प्रजातियों में बड़े पेल्विक पंख (pelvic fins) भी होते हैं, जो उन्हें दो पंखों वाले ग्लाइडर की तुलना में और भी दूर (400 मीटर तक) उड़ने की अनुमति देते हैं. इन मछलियों को चार-पंखों वाली उड़ने वाली मछली के रूप में जाना जाता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि पानी से ऊपर की ओर ग्लाइड करने के लिए उड़ने वाली मछली अपनी पूंछ को प्रति सेकंड 70 बार तक हिलाती है. पानी से बाहर निकलने के बाद यह मछली अपने पेक्टोरल पंखों को फैलाती है और उन्हें थोड़ा ऊपर की ओर झुकाती है, ताकि उसे हवा में उठने के लिए लिफ्ट मिल सके. एक ग्लाइड के अंत में यह समुद्र में फिर से प्रवेश करने के लिए अपने पंखों को मोड़ लेती है.

यह फ्लाइंग फिश उड़ान के समय को बढ़ाने के लिए हवा के रुख को फायदा उठाने के लिए जानी जाती है. साथ ही शिकारियों से बचने के लिए इन्होंने अद्भुत ग्लाइडिंग क्षमता भी विकसित की है. उनके शिकारियों में मैकरेल, टूना, स्वोर्डफिश, मार्लिन और अन्य बड़ी मछलियां शामिल हैं. दुर्भाग्य से यह बचाव का तरीका पृथ्वी के सबसे बड़े शिकारी इंसानों से बचने के लिए काफी नहीं है. एशियाई देशों जैसे जापान, वियतनाम और चीन के साथ-साथ कैरिबियन में भी उड़ने वाली मछली का व्यावसायिक रूप से शिकार किया जाता है, जहां यह एक बेशकीमती फूड हैं. जापानी व्यंजनों में इस मछली का उपयोग सुशी बनाने के लिए किया जाता है. यह ताइवान के ताओ लोगों के आहार का भी एक मुख्य हिस्सा है. बारबाडोस में प्रदूषण और अत्यधिक मछली पकड़ने के कारण उड़ने वाली मछली खतरे में आ गई थी, जिससे बारबाडोस के तटों के पास उड़ने वाली मछली की संख्या में बदलाव आया. इसने बारबाडोस, और त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच एक मछली पकड़ने का विवाद पैदा कर दिया था.

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Niranjan Dubey

न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में सीनियर एसोसिएट एडिटर के तौर कार्यरत. इंटरनेशनल, वेब स्टोरी, ऑफबीट, रिजनल सिनेमा के इंचार्ज. डेढ़ दशक से ज्यादा समय से मीडिया में सक्रिय. नेटवर्क 18 के अलावा टाइम्स ग्रुप, …और पढ़ें

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Source – News18