जब हार गए अंग्रेज.. तब ‘अनपढ़ इंजीनियर’ ने पूरी की कालका-शिमला हेरिटेज रेल लाइन

शिमला. विश्व धरोहर कालका शिमला रेल लाइन का जब भी जिक्र होता है, तब बाबा भलकु का नाम जरूर लिया जाता है. लेकिन, बहुत से लोग बाबा भलकु के बारे में नहीं जानते. यह वही शख्स थे, जिनकी बदौलत कालका-शिमला रेल लाइन का काम बड़ोग से आगे शुरू हो पाया था. हेरिटेज रेल लाइन की सबसे लंबी टनल नंबर-33 को बनाने में बाबा भलकु का सबसे बड़ा योगदान था.

हालांकि, इसके अलावा भी उन्होंने अंग्रेजों के साथ मिलकर कई अन्य छोटी सुरंगों और रेलवे ट्रैक को बनवाने में मदद की थी. बाबा भलकु पढ़े लिखे नहीं थे, इसलिए उन्हें ‘अनपढ़ इंजीनियर’ भी कहा जाता है. उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर अक्सर कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन शिमला में आज भी होता है. आइए एक नजर डालें बाबा भलकु के अनोखे व्यक्तित्व पर…

बाबा भलकु रेल म्यूजियम
चायल होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष देवेंद्र वर्मा ने लोकल 18 को बताया, बाबा भलकु शिमला से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित चायल क्षेत्र के झाझा गांव के रहने वाले थे. वह एक संत थे और पढ़े-लिखे नहीं थे. लेकिन, जो कार्य पढ़े-लिखे अंग्रेजी अफसर नहीं कर पाए, उस कार्य को बाबा भलकु ने कर दिखाया था. उन्होंने कई ऐसे कार्य किए, जिसे अंग्रेजी सरकार के कई बुद्धिजीवी नहीं कर पाए. उनके किए गए कार्यों के लिए उस समय की अंग्रेजी सरकार ने उन्हें सम्मान भी दिया था. शिमला के पुराना बस अड्डे पर उनकी स्मृतियों को समेटे हुए एक म्यूजियम भी बनवाया गया है.

बड़ोग सुरंग से जुड़ा किस्सा बेहद मशहूर
कालका-शिमला रेल लाइन की टनल नंबर-33 को बनाने का जिम्मा अंग्रेजी सरकार के इंजीनियर कर्नल बड़ोग को दिया गया था. कर्नल बड़ोग की कैलकुलेशन में गड़बड़ी होने के कारण सुरंग के दोनों छोर आपस में नहीं मिल पाए. इसलिए अंग्रेजी सरकार ने कर्नल बड़ोग पर सरकारी पैसों की बर्बादी के लिए जुर्माना लगा दिया. बड़ोग यह बदनामी सहन नहीं कर पाए और खुद को गोली मार ली. इसके बाद सुरंग को बनाने का जिम्मा इंजीनियर एचएस हैरिंगटन को दिया गया. हैरिंगटन ने बाबा भलकु की मदद से 1143.16 मीटर लंबी सुरंग का निर्माण पूरा किया.

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Source – News18