जीरे के भाव ने बिगाड़ा रसोई का बजट, नहीं लग पा रहा 'तड़का'

कृष्ण कुमार/नागौर. पिछले दो महीने में जीरे के भाव में खास उतार-चढ़ाव नहीं हुआ है. जीरा 60 हजार रुपए क्विंटल के आसपास ही बिक रहा है. इससे किसानों को तो फायदा मिल रहा है लेकिन निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों ने तड़के के लिए जीरे की जगह दूसरे विकल्प ढूंढ लिए है. क्योंकि बढ़ते जीरे की कीमतों की वजह से इस जीरे को आम आदमी आसानी से खरीद नहीं पाता है. जिसके कारण तड़के में राई तथा प्याज का प्रयोग करने लगे है.

जीरे के भाव का आम आदमी पर पड़ा प्रभाव

मंडी सचिव रघुनाथ सिंवर ने बताया कि जीरे के भाव स्थिर रहने की मुख्य वजह है कि रिटेल मार्केट में जीरे की डिमांड कम हो गई है. लेकिन थोक व्यापारियों में डिमांड बनी हुई है. रिटेल मार्केट में इसकी मांग कम होने के कारण इसके भाव लगातार 60 हजार के आसपास बने हुऐ है. ज्यादा भाव बढ़ने के कारण आम आदमी के पहुंच से जीरा बाहर हो रहा है. जीरे की जगह लहसुन, प्याज तथा राई का उपयोग लेने लगे है.

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गृहणी राधा देवी बताती है कि जीरा महंगा होने की वजह से जीरे की जगह अब घरों में राई काउपयोगकरनेलगे है. क्योंकि जीरे के भावों ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है और ऐसे में इसकी वजह से आम आदमी के घरो में राई से तड़के लगने लगे है.

जीरे के भाव रहेगें स्थिर

मंडी सचिव सिंवर ने बताया कि अब जीरे के भावों में स्थिरता रहेगी. इसका मुख्य कारण यह रहा कि जब तक नई फसल नहीं आएगी तब तक यहीं भाव बने रहेगें. दूसरा कारण है कि रिटेल बाजार में जीरे की खरीद में गिरावट क्योंकि आम आदमी ने जीरे की जगह दूसरा विकल्प तलाश लिया.

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Source – News18