130 साल तक रहस्य बना रहा जैक द रिपर, अब वैज्ञानिकों ने DNA से पहचाना कातिल

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Last Updated:February 16, 2025, 12:57 IST

लंदन के 1888 के मशहूर जैक द रिपर हत्याकांड की गुत्थी 130 साल बाद सुलझी। वैज्ञानिकों ने डीएनए विश्लेषण से असली हत्यारे ऐरोन कोमिन्सकी की पहचान की।

130 साल तक रहस्य बना रहा जैक द रिपर, अब वैज्ञानिकों ने DNA से पहचाना कातिल

जैक द रिपर एक अनजाने हत्यारे के तौर पर दुनिया भर में मशहूर हो गया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

दुनिया में कई आपराधिक मामले अनसुलझे हैं कुछ तो दशकों नहीं सदियों पुराने हैं. अक्सर ऐसे मामले कुछ दशकों में बंद हो जाते हैं. पर कई बार संयोग से किसी तरह का खुलासा होने पर ऐसे मामले  ना केवल चर्चा में आते हैं बल्कि खुल कर सुलझते भी देखे गए है. एक सौ साल पुराना मामला एक गुत्थी सुलझने से इन दिनों चर्चा में हैं. लंदन शहर के इस हत्याकांड पर कई फिल्में बन चुकी हैं और आज लोग जैक द रिपर को शायद आपराधिक मामले से कम फिल्मों के नाम से ज्यादा जानते हैं. पर वैज्ञानिकों ने 130 साल बाद इस असली सीरियल किलर की पहचान करने में सफलता पा ली है.

क्या था जैक द रिपर का मामला
यह मामला कुछ दशक पुराना नहीं बल्कि 1888 का है. उस समय एक हत्यारे ने एक के बाद एक 5 महिलाओं की बेरहमी से हत्या कर लंदन सहित दुनिया भर में सनसनी फैला दी थी. सीरियल किलर की हत्याओं का इन मामलों ने  लंबे समय तक ब्रिटेन की पुलिस को उलझाए रखा और हत्यारा जैक द रिपर के नाम से मशहूर हो गया था जो महिलाओं को बेरहमी से हत्या कर रहा था.

एक मशहूर किरदार
आलम ये हो गया ता कि जैक द रिपर एक सनसनी बन कर इतिहास का एक मशहूर किरदार हो गया था. इस पर कई फिल्में भी बनीं जिन्होंने किरदार को मशहूर करने में मदद की.  लेकिन लोग पीड़ितों को नाम भूल गए और उन्हें आज तक न्याय नहीं मिल सका.  पर अब हत्यारे का नाम सामने आने से न्याय की उम्मीद की जाने लगी है.

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जैक द रिपर पर कुछ फिल्में भी बनी हैं. लेकिन उसकी असल तस्वीर कभी नहीं मिल सकी थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

एक शाल में मिला सुराग
साल 2007 में लेखक और रिपर पर रिसर्च करने वाले रसेल एडवर्ड ने इक पीड़िता कैथरीन एडोइस की शॉल हासिल कर ली थी, उन्हें यह शॉल एक नीलामी में मिली थी. अब हाल ही में एडवर्ड्स ने उस शॉल पर लगे खून के धब्बों से डीएनए निकाला और उसके जरिए यह पता लगा सके कि यह डीएनए असल में एक शख्स ऐरोन कोमिन्सकी का है.

एक्स्पर्ट्स ने की पुष्टि
ऐलान करने से पहले एडवर्ड्स ने विशेषज्ञों की टीम बुलाई जिसमें फॉरेंसिक वैज्ञानिक शामिल थे. टीम ने यह सुनिश्चित किया कि डीएनए मैचिंग बिलकुल सही है. डेलीमेल के मुताबिक उसके बाद ही हत्यारे की सटीक पहचान की पुष्टि हो सकी.

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हत्या के समय कोसमिन्सकी 23 साल का था, जब उसने 31 अगस्त से 9 नवंबर 1888 के बीच मैरी एन निकोल्स, एनी चैम्पमैन, एलिजाबेथ स्ट्राइड, मैरी जेन केली और कैथरीन एडोइस की हत्या की थी. वह उस समय भी हत्याओं के संदिग्धों में शामिल था. साल 1919 में उकी एक मानसिक संस्थान में मौत हो गई थी. लेकिन उसके रिश्तेदार, ने ही कोसमिन्सकी के बड़े भाई की पर-पड़पोती ने डीएनए का नमूना देकर इस रहस्य का खुलासा करने में मदद की थी.

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Source – News18