अंतरिक्ष में हुई पानी की किल्लत, पेशाब उबाल कर पी रहे एस्ट्रोनॉट, पहले सिर्फ पीते थे पसीना

धरती पर प्रकृति ने इंसान की जरुरत पूरी करने लायक सारी सुविधा दी है. हालांकि, इंसान के लालच की पूर्ति करने जितने साधन यहां मौजूद नहीं हैं. प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने की वजह से कई चीजों की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. इसमें पानी की समस्या सबसे प्रमुख है. लेकिन सिर्फ धरती पर नहीं, इन दिनों स्पेस में भी पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में एक नई तकनीक स्पेस में इजाद की गई, जिसमें स्पेस यात्रियों के वेस्ट प्रोडक्ट्स को ही पानी में बदल कर पीने लायक बनाया जा रहा है.

नासा के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रहने वाले कई अंतरिक्ष यात्री वो पानी पी रहे हैं जो इंसानी पेशाब से बनाई गई है. इस तकनीक की वजह से अब स्पेस यात्री ज्यादा समय तक अंतरिक्ष में समय बिता पाएंगे. पहले क्रू अपने केबिन में मौजूद नमी को पानी में बदलकर कंज्यूम करते थे. इसमें सांस लेने से लेकर पसीने की नमी शामिल है. लेकिन अब इस नई तकनीक की वजह से इंसानी पेशाब को भी पीने के पानी में बदला जा सकता है.

नासा ने बताया क्रांतिकारी
नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के क्रिस्टोफर ब्राउन के मुताबिक़, ये बेहद ऐतिहासिक कदम है. यूरिन प्रोसेसर असेंबली एक ऐसी तकनीक है, जिसमें ना सिर्फ इंसानी पेशाब को, बल्कि पॉटी से भी पानी निचोड़ कर अलग किया जा सकता है. इसके बाद उबाल-उबालकर उसे पीने के पानी में बदला जाता है. इस तकनीक की वजह से आप स्पेस में अंतरिक्ष यात्री ज्यादा लंबे समय तक रह पाएंगे.

pee converted into water

इंटरनेशनल स्पेस सेंटर में शुरू हुई नई तकनीक

ऐसे करता है काम
इस नई तकनीक के काम करने का नया तरीका है. इसमें पेशाब को ब्राइन में बदला जाता है. ब्राइन को फिर ड्राई एयर के तहत भांप में बदलकर पानी में उतार लिया जाता है. ये पानी इंसान के पीने लायक होता है. इस खबर की पुष्टि नासा ने भी की. हालांकि, उनका कहना है कि स्पेस यात्री पेशाब नहीं पी रहे हैं. वो पेशाब को एक तकनीक के जरिये पीने लायक बनाया गया पानी बनाकर कंज्यूम कर रहे हैं. अगर भविष्य में धरती पर भी पीने के पानी की किल्लत होगी तो इस तकनीक को यहां भी इस्तेमाल किया जा पाएगा.

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Source – News18