इस गांव में रावण की होती है पूजा, जय लंकेश के लगते है नारे, जानें इसके पीछे का कारण

रवि कुशवाहा / विदिशा. रावण को जहां देश में बुराई का प्रतीक माना जाता है, वही विदिशा से महज 40 किलोमीटर दूर स्थित एक रावण गांव है. जहां रावण की पूजा की जाती है. यहां रावण को पूजनीय माना जाता है, कोई भी शुभ कार्य करने से पहले रावण के मंदिर में न्योता दिया जाता है. जिसके बाद ही कोई भी कार्य गांव में संपन्न होता है. रावण गांव के लोग रावण को कुल देवता मानते हैं और गांव में पूजा भी उन्ही की होती है.

वहीं इस मामले में मंदिर के पुजारी नरेश महाराज ने बताया कि रावण का यह गांव चेतन स्थान है. सभी कार्य रावण महाराज की कृपा से अच्छे होते हैं. कोई भी कार्य जो नहीं हो रहा हो वह भी यहां सिद्ध हो जाता है. रामायण, भागवत और कथा करने से पहले रावण महाराज के यहां न्योता रखा जाता है. वहीं शादी भी करने से पहले नारियल और दीया रखकर उनसे आज्ञा ली जाती है इसके बाद ही शादी की जाती है. अगर आपने यहां पर दीया नहीं रखा तो और जिस घर में शादी हो रही है उसे घर में तेल की कढ़ाई भी गरम नहीं हो सकती.

राक्षस को मारने के बाद रावण ने अपने तलवार को गाढ़ दिया था

अगर गांव में किसी ने नई बाइक या कोई भी वाहन लिया है तो पहले रावण के मंदिर में आता है, इसके बाद ही वह गांव में जाते सकते हैं और हमारी जो भी मनोकामना हो वह यहीं से पूरी होती है. पुजारी जी का कहना है कि त्रेतायुग की बात है कि यहां सामने पहाड़ है. जहां पर एक राक्षस रहता था यहां उससे लड़ने वाला कोई नहीं था, इसके बाद वह लंका गया, लंका में उसने रावण को ललकारा और कहा हमारे क्षेत्र में मुझसे लड़ने वाला कोई नहीं है, इस पर रावण ने कहा कि मैं तुमसे लड़ने को तैयार हूं तुम्हारे ही क्षेत्र में.

इसके बाद रावण ने उस राक्षक का वध किया और उसको शांत कर दिया. रावण ने यहीं पर विश्राम किया. उसी समय से यहां राक्षस राज रावण की विश्राम करती हुई मूर्ति है. राक्षस को मारने के बाद रावण ने अपनी तलवार भी वहीं पर गाड़ दिया, रावण की वह तलवार मंदिर के ठीक सामने है जहां पर तालाब भी बना हुआ है.

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Source – News18