उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर केवल पश्चिम से पूर्व दिशा में ही क्यों घूमते हैं?

आपने सुना होगा कि फलां उपग्रह लॉन्‍च किया गया है जो पृथ्‍वी की कक्षा में घूम रहा है. लेकिन सभी उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर केवल पश्चिम से पूर्व दिशा में ही घूमते हैं. आख‍िर इसकी वजह क्‍या है? किसी और द‍िशा की ओर क्‍यों नहीं घूमते? धरती से बाहर तो पूरा अंतर‍िक्ष है और काफी जगह भी खाली होती है, ऐसे में यही द‍िशा क्‍यों ली जाती है? ऑनलाइन प्‍लेटफार्म कोरा पर यही सवाल पूछा गया, जिसका कई यूजर्स ने जवाब दिया. दरअसल, इसके पीछे इंसानी दिमाग है और साइंस है.

धरती से जब हम किसी उपग्रह को लॉन्‍च करते हैं, तो उसे काफी तेज गत‍ि से धरती की कक्षा में प्रक्षेपित किया जाता है ताकि उस पर पृथ्‍वी के गुरुत्‍वाकर्षण प्रभाव का कम से कम असर हो. प्रक्षेपण का मतलब धरती की कक्षा से बाहर भेजना नहीं होता. क्‍योंकि अगर बाहर चला गया तो अंतर‍िक्ष में गुम हो जाएगा और उससे धरती के बारे में हम कोई जानकारी नहीं ले पाएंगे. क्‍योंकि उससे संपर्क करना ही नामुमक‍िन हो जाएगा. इसल‍िए एक खास कोण से इसे लॉन्‍च किया जाता है ताकि धरती की कक्षा में फ‍िट किया जा सके.

धरती की दिशा में ही घूमते उपग्रह
अब मूल सवाल का जवाब. धरती हमेशा अपनी अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर एक लूप की तरह घूमती है. इसकी गत‍ि 1000 मील यानी 1600 किलोमीटर प्रत‍ि घंटे होती है. उपग्रह को प्रक्षेपण के दौरान इसी गत‍ि से म‍िला दिया जाता है, ताकि वह धरती के साथ घूमने लगे. उपग्रह द्वारा पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करने में 24 घंटे का समय लगता है. मतलब पृथ्वी अपने अक्ष के अनुरूप एक बार घूमने में जितना समय लेती है, उतने समय में ही उपग्रह भी एक चक्‍कर लगा लेता है. इसील‍िए जमीन से देखने पर उपग्रह आकाश में लगभग स्थिर दिखाई देता है.

इसल‍िए तय की जात‍ी पश्चिम से पूर्व की दिशा
लेकिन उपग्रह इसी दिशा में ही क्‍यों चक्‍कर लगाते हैं, इसका जवाब यह है कि धरती के साथ धूमने के कारण उपग्रह को चलाने के लिए अत‍िरिक्‍त ईंधन की जरूरत नहीं होती. वह बेहद कम ईंधन में चक्‍कर काटता रहता है. अगर इससे अलग दिशा ले तो धरती के गुरुत्‍वाकर्षण के विपरीत चलना होगा और काफी ताकत की जरूरत होगी. इसके लिए उपग्रह को काफी काम करना होगा, जिसमें बहुत ज्‍यादा ईंधन लगेगा.

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Source – News18