यहां बच्चा-बच्चा बनाता रॉकेट लॉन्चर, बंदूकें स्मार्टफोन से भी सस्ती
बंदूकें, मिसाइल बनाना बच्चों का खेल नहीं. इसके लिए नियम कानूनों के अलावा, एक्सपर्ट होना जरूरी होता है. लेकिन पाकिस्तान में एक जगह है, जहां घर-घर में हथियारों की फैक्ट्री खुली हुई है. यहां मिसाइल से लेकर रॉकेट लॉन्चर तक बनाए जाते हैं. कोई भी हथियार दिखा दो, यहां के लोग चंद दिनों में उसकी नकल कर बना लेते हैं. दुनिया के कई हिस्सों में यहां की बनी बंदूकें चोरी-छिपे भेजी जाती हैं. लेकिन यहां के लोगों का दावा है कि वे आतंकियों को कभी बंदूकें नहीं बेचते. हाल ही में माइनिंंग को लेकर इस इलाके में गोलियां चलीं, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई तो पता चला कि ये हथियार यहीं के बने हुए थे.
हम बात कर रहे पाकिस्तान के दारा आदमखेल (Darra Adamkhel) कस्बे की. साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, धूल के गुबार में ढंके इस आदिवासी कस्बे में हर वक्त गोलियों की आवाज गूंजती रहती है. दावा है कि यहां के 25,000 से ज्यादा लोग हथियार बनाने के काम में लगे हुए हैं. ज्यादातर घरों में आपको कई तरह की पिस्टल, राइफल आसानी से मिल जाएंगी. पेशावर शहर से लगभग 35 किमी दक्षिण में पहाड़ियों से घिरे इस कस्बे को हथियारों के सबसे बड़े ब्लैक मार्केट के नाम से जाना जाता है. यहां के लोग इतने कुशल हैं कि उन्हें जो भी हथियार दिखाया जाए उसकी नकल कर सकते हैं. कई कई लोगों ने तो 10 हजार से ज्यादा राइफलें तक बेची हैं.
Pakistani unlicensed gun market of Darra Adam Khel is one a kind which is quite popular among American audience. These skilled gunsmiths can make you AKs, ARs, Glocks etc. by hands in a tiny shop for few 1000 rupees. You can even get custom anomalous combos of AKs & ARs platforms https://t.co/pQF06ibjpD pic.twitter.com/egMuevu3y7
— Pakistan (@Indusland_) January 9, 2024
9 हजार रुपये में AK47 और 13 हजार रुपये में राइफल
यहां 9 हजार रुपये में AK47 और 13 हजार रुपये में राइफल मिल जाती है. MP5 सब-मशीन गन जिसकी कीमत अमेरिकी बाजार में लाखों रुपये है, वह सिर्फ 7000 रुपये में आप यहां से खरीद सकते हैं. कारीगरों का दावा है कि यह बिल्कुल उसी की तरह काम करता है. यहां के लोग इतने शातिर हैं कि एंटी-एयरक्राफ्ट से लेकर पेन गन तक बनाते हैं. आज से नहीं, पीढ़ियों से यह अवैध व्यापार चल रहा है. बुजुर्ग अपने बच्चों को इसकी ट्रेनिंग देते हैं. हालांकि, कुछ खामियां भी हैं. स्टील से बनी गन कंप्यूटराइज्ड मशीन से फैक्ट्री में बनी गन से मैच नहीं कर सकती. इन हथियारों में अगर कुछ भी गड़बड़ हुई तो उनके पार्ट्स रिप्लेस नहीं किए जा सकते.
बाद में यह शहर तालिबान का गढ़ बन गया
रिपोर्ट के मुताबिक, 1980 के दशक में मुजाहिदीन ने सोवियत संघ से लड़ने के लिए हथियार यहीं से खरीदे. उसके बाद इसमें तेजी आई; तस्करी शुरू हो गई. बाद में यह शहर तालिबान का गढ़ बन गया. अपने नियम और कानून लागू करने शुरू कर दिए. बाद में नवाज शरीफ की सरकार ने हर जगह चौंकियां स्थापित कर दींं, तो कारोबार पर कुछ रोक लगी. लेकिन फिर यह खुल गया. बाद में इस शहर में चोरी की कारों से लेकर फर्जी विश्वविद्यालय डिग्री तक सब कुछ बेचा जाने लगा.
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FIRST PUBLISHED : January 16, 2024, 08:41 IST
Source – News18