हवाई जहाज के अंदर पैदा हुए बच्चे तो क्या होगा? किस देश के कहलाएंगे नागरिक, जानिए सबकुछ !

आपने ट्रेन में, बसों में बच्‍चों के पैदा होने की खबरें सुनी होंगी. उसके लिए नियम भी हैं. नागर‍िकता का भी सवाल पैदा नहीं होता. लेकिन सोच‍िए कि आप विदेश जा रहे हों और हवाई जहाज के अंदर ही बच्‍चा पैदा हो जाए तो क्‍या होगा? किस देश के नागर‍िक कहलाएंगे? सात महीने की प्रेग्‍नेंट डेवी ओवेन के साथ भी यही हुआ. आइवरी कोस्‍ट से लंदन जा रही थीं. पत‍ि साथ नहीं थे, सिर्फ चार साल की बेटी साथ में सफर कर रही थी. उन्‍होंने हर तरह से डॉक्‍टरी सलाह लेने के बाद फ्लाइट लिया. मगर बीच रास्‍ते में ही लेबर पेन होने लगा.

डेवी घबरा गईं, फ‍िर भी उन्‍होंने सोचा कि कुछ दूरी और रह गई है. शायद अस्‍पताल तक सुरक्ष‍ित पहुंच जाएं, लेकिन होनी को कौन टाल सकता था. बीच में ही बच्‍चे ने जन्‍म ले लिया. फ्लाइट में मौजूद एक डच डॉक्‍टर ने डिलिवरी कराई. जब बच्‍चे का जन्‍म हुआ तो विमान ब्रिटेन की सीमा से कुछ ही दूरी पर था. अब वह बच्‍ची अब 28 साल की हो चुकी है और उसका नाम शोना है. वह दुनियाभर में उन लगभग 50 लोगों में से एक है, जिन्‍हें स्‍काईबॉर्न के नाम से जाना जाता है. अब वह ऐसे बच्‍चों को एक साथ लाने की कोश‍िश में जुटी हैं. स्‍काईबॉर्न नाम से एक वेबसाइट भी बनाया है.

260 लाख यात्रियों में लगभग एक
हेल्‍थ एक्‍सपर्ट के मुताबिक, 260 लाख यात्रियों में लगभग एक में इस तरह का जन्‍म होता है. उड़ान में प्रसव बहुत दुर्लभ है, क्‍योंकि वहां हवा कम होती है, जिससे शिशु के लिए सांस लेना कठ‍िन होता है.गंभीर बात यह है कि यदि जन्‍म के समय कोई परेशानी हो जाए या आपातकालीन सी-सेक्‍शन की जरूरत हो तो उच्‍च तकनीक वाले उपकरण नहीं होते. नवजात के कानों में यूस्टेशियन ट्यूब हवा के दबाव में बदलाव के साथ संघर्ष करते हैं. ऐसे में जोखिम बहुत ज्‍यादा होता है. विमानन नियम अभी भी अस्‍पष्‍ट हैं. कुछ एयरलाइन 27 हफ्ते के बाद प्रेग्‍नेंट मह‍िलाओं को ले जाने से इनकार कर देती हैं तो कुछ मेडिकल सर्टिफ‍िकेट के साथ 40 हफ्ते तक की प्रेग्‍नेंट मह‍िलाओं को भी जाने देती हैं.

बच्‍चे को नागर‍िकता कहां की मिलेगी?
अब सवाल है कि 36,000 फीट की ऊंचाई पर पैदा हुए बच्‍चे को नागर‍िकता कहां की मिलेगी? एक्‍सपर्ट के मुताबिक-इसका कोई एक नियम नहीं है. लेकिन ध्‍यान रखें कि विमान जिस देश के ऊपर उड़ रहा है, उसे उस देश की धरती माना जाता है. 1961 में एक एग्रीमेंट सामने आया था, जिसमें यह बात कही गई थी. वैसे ज्‍यादातर देश बच्‍चों को रक्‍त के आधार पर नागर‍िकता देते हैं. यानी बच्‍चे के मां-बाप जहां के होंगे, उसे वहीं की नागर‍िकता मिल जाएगी. लेकिन कुछ देर धरती को तवज्‍जो देते हैं. यानी जहां पर पैदा हुए. 1961 में हुआ एग्रीमेंट ऐसे बच्‍चों को नागर‍िकता दिलाने में मदद करता है, जहां विवाद हो जाए. यह कहता है कि जिस देश की एयरलाइन उस देश की नागर‍िकता मिलेगी. अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, अगर कोई बच्‍चा अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में जन्म लिया है तो उसके जन्‍म स्‍थान में समुद्र लिखा जाना चाहिए. अगर फ्लाइट में पैदा हुआ तो उसे “हवा में पैदा हुआ” बच्‍चा के रूप में रखा जाना चाहिए.

जबरदस्‍त मार्केटिंग करती हैं एयरलाइन
उड़ान के दौरान बच्चे का जन्म माता-पिता और एयरलाइन दोनों के लिए खुशी की खबर है. एयरलाइन इसकी जबरदस्‍त मार्केटिंग करती हैं. वर्जिन ने एक बच्‍चे को 21 साल की उम्र तक मुफ्त उड़ान का तोहफा दिया क्‍योंकि यह बच्‍चा उसके विमान में पैदा हुआ था. इसी तरह ब्रिटिश एयरवेज ने शोना ओवेन को उसके 18वें जन्मदिन पर 2 टिकटें भेजीं, जिससे वह अपने दादी को देखने के लिए ऑस्‍ट्रेल‍िया की उड़ान भर सकती थीं. उन्‍हें अक्‍सर मुफ्त में अपग्रेड मिल जाता है.

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Source – News18